पहले हमें देश चाहिए या धर्म l
हमारे देश में अनेक प्रकार के धर्म है और अनेक प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं l और हर जगह की उनकी वेशभूषा भी अलग-अलग होती है इनके धर्म के अनुसार l मगर बड़ी बात यह है कि पहले हमें किस की आवश्यकता ज्यादा है देश की या धर्म की l
आज के समय में हर जगह धर्म के ऊपर लड़ाई होती रहती है lजिसको देखो अपने धर्म के बारे में ही सोचते हैं lदेश का विकास हो या ना हो उसको क्या फर्क पड़ता है, क्योंकि धर्म आज एक वोट बैंक बनकर ही रह गया है और हमारे देश के राजनेता इन्हें तो वोट बैंक ही समझते हैं l हमारे देश की अवस्था यह है कि एक पांचवी फेल या अपराधी चपरासी बने ना बने राजनेता जरूर बन जाता है ,फिर हम विकास की बात करते हैं l यह किस प्रकार की विडंबना है l


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हमें अब एकजुट होकर इस देश के हित के बारे में सोचना है lअगर हमने ऐसा नहीं किया तो हमारे देश की आर्थिक अवस्था बहुत ही खराब हो जाएगी l हमें सिर्फ वोट बैंक बन कर ही नहीं रह जाना है l



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