विडंबना | बड़ी विडंबना है इस संसार के लोगों में, जो जीवित हैं उसके अवगुण निकाल,उसका बखान कर, इंसान को जीने योग्य माहौल नही देते, और एक बार उसे इस संसार से विदा तो होने दो, खोज खोज के सारे लोग उनकी विशेषताओं की गाथा गाते नही थकते.... मेरा विनम्र निवेदन है समस्त बुद्धिजीवीयों से, इंसान को जीते जी गर्व से तथा सुख शुकून से जीने का माहौल दें , क्युकि कमि हर किसी में होती ही है ,कोई भी इंसान संपूर्ण रूप से परफेक्ट नही होता |
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हम बीमार क्यों पड़ते हैं ? जब हम बीमार होते हैं या कोई भयंकर बीमारी होती है तो उस खुदा को कोसने लगते हैं ! जैसे कि उस खुदा ने हमारे साथ ऐसा किया है!मगर हम यह नहीं समझ पाते कि जो हमारे साथ हो रहा है ,जो हमारे साथ होगा, जो हमारे साथ हुआ था ! इसके जिम्मेदार हम स्वयं ही हैं क्योंकि हर समस्या के कारण और निवारण हम खुद ही हैं ! क्योंकि हम जानते हैं हम जितना भी पैसा कमा ले , हम उस पैसे को खा नहीं सकते ! हमें खाने के लिए दो रोटी ही चाहिए , जब हम बीमार पड़ते हैं या कोई भयंकर बीमारी होती है ! तो हम सोचने लगते कि हमारे साथ एसा क्यों हुआ , मगर हम यह नहीं सोचते की हमने ऐसा कर्म दूसरों के साथ क्यों किया जिस के करण हमारे साथ ऐसा हो रहा है! जीवन का चक्कर बड़ा ही अनोखा हैं ! अगर हमने किसी को दुख दिया है तो,हम दुखी हो कर के ही मरेगे ! क्योंकि हमारे कर्मों का हिसाब -किताब यह ही चिकतू होता हैं ! यह न्यूटन के तीसरे सिद्धांत की तरह है!जैसा हम करते हैं वैसा हम पते हैं...
पहले हमें देश चाहिए या धर्म l हमारे देश में अनेक प्रकार के धर्म है और अनेक प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं l और हर जगह की उनकी वेशभूषा भी अलग-अलग होती है इनके धर्म के अनुसार l मगर बड़ी बात यह है कि पहले हमें किस की आवश्यकता ज्यादा है देश की या धर्म की l आज के समय में हर जगह धर्म के ऊपर लड़ाई होती रहती है lजिसको देखो अपने धर्म के बारे में ही सोचते हैं lदेश का विकास हो या ना हो उसको क्या फर्क पड़ता है, क्योंकि धर्म आज एक वोट बैंक बनकर ही रह गया है और हमारे देश के राजनेता इन्हें तो वोट बैंक ही समझते हैं l हमारे देश की अवस्था यह है कि एक पांचवी फेल या अपराधी चपरासी बने ना बने राजनेता जरूर बन जाता है ,फिर हम विकास की बात करते हैं l यह किस प्रकार की विडंबना है l क्योंकि दोस्तों हमें यह पता होना चाहिए की देश है तो धर्म है lदेश नहीं तो धर्म भी नहीं होगा l इसलिए पहले हमें देश हित के बारे में पहले सोचना चाहिए क्योंकि हमारा देश ही एक ऐसा है !जो सभी धर्मों को बराबर - बराबर से सम्मान देता है l हमें अब एकजुट होकर इस दे...



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